नितीश पत्रकार शिक्षक चुनाव

आने वाले चुनाव के लिए नितीश कुमार सारा इंतजाम किये जा रहे हैं. अब तक की परिपाटी तो यही है कि तीन बड़े दलों में जो दो साथ आ जायेंगें वही प्रदेश की सत्ता पर काबिज होंगें और यदि सब अलग-अलग लड़े तो भाजपा आगे निकल जाएगी. इस बार रण में प्रशांत किशोर भी होंगें तो समीकरण डावांडोल होने की संभवना है. लेकिन नितीश कुमार जिस भी पाले में रहें अपने लिए एक सुरक्षित रास्ता ही खोजेंगें. आने वाले दिनों में नितीश कुमार जहां खड़े होंगें वो खेमा प्रदेश मिडिया को सबसे अच्छा दिखाई देगा. इसका कारण है राज्य सरकार द्वारा पत्रकारों को दिया जाने वाला पेंशन.

नितीश कुमार ने एन वक्त पर पत्रकार सम्मान पेंशन योजना को लागू कर 40 वरिष्ठ पत्रकारों को 6 हजार प्रतिमाह का पेंशन देना शुरू कर दिया है. अभी तो स्वीकृत पत्रकारों की संख्या 48 है पर कुमार अपनी सुविधानुसार इसकी संख्या भी बढ़ा सकते हैं. ऐसा नहीं है कि मिडिया को मेनेज करने का यह तरीका कोई पहली बार अपनाया गया हो. उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री ऐसा करते रहे हैं.

दरअसल हर असफल मुख्यमंत्री को अपनी छवि को ठीक करने का इससे आसान तरीका कोई और नहीं मिलता. इसलिए माननीय मुख्यमंत्री के इस चाल को मात देने के लिए आम नागरिकों को ही पत्रकार बनने की दरकार है. उन्हें अपने मुद्दे पहचानने और उसपर मुखर होकर लिखने-बोलने की आवश्यकता है.

हो सकता है आने वाले कुछ दिनों में शिक्षकों द्वारा की जा रही मांग को भी राज्य सरकार मान ले, इससे पूरा शिक्षक वर्ग भी वर्तमान सरकार के पक्ष में ही बोलेगा. शिक्षक-सरकार-पत्रकार के इस नुराकुस्ती में आम जनता को विकास और खुशहाली के नाम पर झुनझुना ही मिलेगा. इसलिए वक्त रहते अपने मुद्दे को पहचानिए और उस पर लिखिए बोलिए वरना यह विधानसभा चुनाव भी जातिवाद की भेंट चढ़ जायेगा.



































 

  

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