तेजी से बदलते समीकरण में कौन मार रहा बेगुसराय में बाजी?


राहुल गाँधी के वायनाड से चुनाव लड़ने के साथ ही देश का एकलौता हॉट सीट बना बेगुसराय में बहुत कुछ बहुत तेजी से बदल रहा है. एक तरफ लाऊडस्पीकर का प्रयोग तो बंद हुआ पर सोशलमीडिया और डोर-टू-डोर कम्पैन अभी भी बदस्तूर जारी है. शुरुआत में जहाँ कन्हैया सिर्फ हवाई बढ़त बनाये हुए थे वहीँ अंतिम समय में उन्होंने भी अपनी जमीन मजबूत कर ली. पहले जहां गिरिराज एक आसन जीत की तरफ बढ़ रहे थे, अब परिस्थिति बदल चुकी है. ऐसे में कुछ घटनाओं का जिक्र करना लाज़िमी हो जाता है, जिसने बेगुसराय के संभावित त्रिकोणीय मुकाबले को पूर्ण रूप से द्विपक्षीय बना डाला है.


1. जावेद अख्तर का बेगुसराय आना...!!!


हॉट सीट बनने के कारण कन्हैया के पक्ष में मशहूर हस्तियों और सिनेमाई कलाकारों का जमावड़ा तो शुरुआत से ही बेगुसराय में लगाना शुरू हो गया था. फिर वो स्वरा भाष्कर, सहेला राशिद, जिस्नेश मेवानी हों या कुनाल कामरा और शबाना आजमी हों. पर जावेद अख्तर और योगेन्द्र यादव का प्रभाव सर्वाधिक हुआ, जिससे कन्हैया कुमार को फायदा हुआ. अपने अंदाज से हटकर जावेद अख्तर ने न सिर्फ भाजपा और नरेन्द्र मोदी की भरपूर बखियां उधेरी बल्कि धर्म के नाम पर भी वोट करने की अपील कर दी. ऐसे में राजद का कोर-वोट-बैंक का खिसकना तय है, जो सीधे-सीधे कन्हैया के पक्ष में जायेगा.


2. तनवीर हसन का साईंलेंट कम्पैन...!!!


इस बार राजद ने कानों कान प्रचार करने की रणनीति पर विशेष बल दिया है. भला बेगुसराय इस बात से कैसे अछूता रहता, लेकिन यहाँ के प्रचार में और राजद के अन्य जगहों के प्रचार से कई अंतर हैं. राजद यहाँ किसी प्रकार का धार्मिक धुर्विकरण नहीं चाह रही है, इसलिए खुले स्टेज से हिन्दू-मुस्लिम करने से बच रही है. इतना ही नहीं, तनवीर हसन खुले मंच से तो कन्हैया का विरोध करते हैं, पर जब मुसलमानों के बीच जाते हैं तो वो कन्हैया को ही वोट देने की अपील करते हैं, जिससे कि हिन्दुओं की गोलबंदी भाजपा के तरफ़ ना हो. जाहिर है कि तनवीर हसन की रणनीति कन्हैया को ही लाभ पहुँचाने जा रही है.

3. अमित शाह फेक्टर..!!!


अमित शाह राजनीतिक गोटी सेट करने के माहिर खिलाड़ी हैं, उनके अलावा भाजपा के बांकी  प्रचारकों ने बेगुसराय आकर कुछ खास नहीं किया था. खुद गिरिराज सिंह भी अपने पाकिस्तान भेजने वाले बयान से दूर ही रहे. ऐसे में कन्हैया के लच्छेदार भाषण और दावों से बीजेपी का वोट बैंक दरकता जा रहा था, जिसे अमितशाह ने आकर दुरुस्त करने का प्रयास किया. पर भाजपा के लिए चिंता की मुख्य वजह अमितशाह के रैली में भीड़ का न जुटना है. क्योंकि जीडी कोलेज के जिस मैदान में अमित शाह की रैली हुई वो एक तो ऐसे ही छोटी है, दुसरे अमितशाह के सभा में स्टेज के आगे बहुत जगह छोड़ कर ही पब्लिक के बैठने की व्यवस्था होती है, इसके बावजूद सभा की अधिकतर कुर्सियां खाली थी. पर फिर भी अमित शाह ने बेगुसराय में भाजपा के पक्ष में माहौल जरुर तैयार किया, जिसका लाभ गिरिराज को मिलेगा.

4. मस्जिदों से जारी किये गए फतवे..!!!


बीते शुक्रवार को कुछ मस्जिदों से कन्हैया के पक्ष में तो कुछ से तनवीर हसन के पक्ष में वोट करने के लिए फ़तवे जारी कर दिए गये, ऐसे में धार्मिक गोलबंदी का आसार प्रबल हो गये हैं जिसका घाटा कन्हैया को होने जा रहा है. क्योंकि राजद का मुख्यवोट बैंक का एक हिस्सा जो मुस्लमान है, वो तो कन्हैया की तरफ शिफ्ट होगा पर यादव फतवे के जारी होने से छुब्द हैं, जो बेगुसराय में लगभग 12 प्रतिशत हैं. ऐसे में यादवों का वोट गिरिराज की तरफ शिफ्ट हो सकता है. जिसके का घाटा कन्हैया को होगा.

तो फिर कौन जीत रहा है..!!


शुरुआत में कन्हैया की लड़ाई दुसरे नंबर के लिए थी, पर राजद के प्रत्यासी के ढुलमुल रवैये के कारण कन्हैया मुख्य लड़ाई में आ गये हैं. पहले की स्थिति में भाजपा विरोधी वोट  तनवीर और कन्हैया में बंटने के आसार थे, जिसका सीधा फायदा गिरिराज को मिलने वाला था. पर अब एक ओर जहाँ मुसलमानों का वोट कन्हैया को जायेगा तो यादवों का वोट कन्हैया और गिरिराज में बंटेगा. कितना बंटेगा यह कहना मुश्किल है पर सीमित यादव वोटर से बात करने के आधार मैं बता सकता हूँ कि अधिकतर यादव गिरिराज के पक्ष में रहेंगें. फिर फ़तवे की वजह से पहुंचे हिन्दू भावनाओं के ठेस कारण भी कन्हैया की मिटटी पलीद होने वाली है.

ऐसे में कन्हैया और गिरिराज दोनों का वोट बढेगा. इस बात में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहए कि राजद प्रत्यासी तनवीर हसन का जमानत भी जब्त हो सकता है. इस तरह कन्हैया का कैडर वोट, जो लगभग दो लाख है और मुसलमानों को मिला कर उन्हें लगभग साढ़े चार लाख वोट मिलने की संभावना है. इसी तरह भाजपा का भी वोट पिछली बार(सवा चार लाख)की तुलना में बढ़ कर 5 लाख तो होना  तय है.

पर सरल अंक गणित तो तनवीर हसन की हार के अलावा और कुछ भी तय नहीं कर सकता. यादव वोट कितना कन्हैया की तरफ शिफ्ट हो पाता है यह मायने रखेगा. 

दूसरा, फेसबुक पर असीमित संख्या में पोल कराये जा रहे हैं, जिसमें से अधिकतर के नतीजे भले ही दिग्भ्रमित करने वाले हों या फेक हों पर पोल का रिजल्ट जिसे जीतता हुआ बताएगा उसे फ्लोटिंग वोट का फ़ायदा मिलना तय है. क्योंकि बहुत सारे मतदाता जितने वाले उम्मीदवार को वोट देना पसंद करते हैं. इसलिए गिरिराज और कन्हैया के समर्थक खुल कर फेसबुक पोल में भाग ले रहे, जिसका दायरा फेक फेसबुक प्रोफाइल से भी होकर गुजरता है. इसके अलावे इन फेसबुक पोल में वो भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं जिन्हें बेगुसराय में वोट करना ही नहीं है. मेरी अपील तो होगी कि फेसबुक पोल को देख कर अपना निर्णय लेने से बचे और अच्छे प्रत्यासी को ही वोट दें.

तो यादव वोट और फेसबुक पोल पर बहुत कुछ निर्भर करता है. पर कड़े द्विपक्षीय मुकाबले में गिरिराज आगे चल रहे.

Comments

  1. मनीष: बहुत अच्छा आर्टिकल ओर एनालिसिस।

    पर मुझे लगता है 2014 में मोदी लहर , भोला सिंह की राजनीतिक विरासत थी। 2019 में एन्टी incumbency bjp के खिलाप है। एक राइट विंगी, हिन्दू एक्सट्रेमिस्ट पर्सनालिटी जो मुस्लिम वोटर पसंद नही करेगा। आदि आदि इसलिए BJP को वोट 5 लाख तो दूर 4 लाख के नीचे आ जाएगा।

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  2. Mks:3.20 to 3.50 लाख तक गिरिराज को

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  3. BJP 6 lakh se upar vote lekar sabhi rajnitik pandit kaa hosh thikana laga diya hai begusaray me.
    begusarai kaa rajniti samikar ab biklul badal chuka hai..

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    1. Maine kya Tay hai wo bataya... 6 lakh ki sambhwna se inkar nhin kiya

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