यूँ ही नहीं मोदी कर्मयोगी कहलाते

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सिंगापुर, जहाँ मंहगाई आम तौर पर 1 प्रतिशत के आसपास होती है, वहां जीएसटी लागू होने के बाद मंहगाई आसमान छूने लगी थी. साल 2016 में भारत में भी इसे लागू किया गया पर मंहगाई दर सिंगापूर के 8+ प्रतिशत के मुकाबले 4 प्रतिशत के आस पास रहा. 2008 में वैश्विक सुस्ती के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का सारा जिम्मा आम जानता पर था, पर एक बार फिर से विश्व तमाम कारणों से सुस्ती के दौर से गुजर रहा है लेकिन यह मोदी के 'अर्थशास्त्र' का ही नतीजा है कि आम जनता पर इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा.

मोदी विरोधी विशेषज्ञों की हालत 'खिसियानी बिल्ली कम्भा नोचे' जैसा हो गया है.

ऑनलाइन और डिजिटल खरीद-बिक्री और लेनदेन के लिए वीजा और मास्टरकार्ड जैसी अमरीकी कंपनियों पर निर्भर जानता को अब स्वदेशी रुपेकार्ड का विकल्प भी उपलब्द है. हाल ही में इसे दूसरे देशों में भी लांच किया गया. अबुधाबी और भूटान में अभी इसकी शुरुआत की गयी है.

यह मोदी की कड़ी मेहनत का नतीजा है कि जी7 और ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक वर्ल्ड में पहली बार भारत को भी शामिल किया गया. 

प्रधानमंत्री इसलिए यह सब कर पा रहे हैं क्योंकि जमीन पर जनता हमेशा उनके कड़े फैसलों में भी साथ देती आ रही है.

हाल ही में कश्मीर में 370 और 35A पर मोदी ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद उनके समर्थक सदियों से किये बैठे थे. अब कश्मीर का एक-एक इंच सीधे भारत सरकार के गृह मंत्रालय की देख रेख में रहेगा.

अब तक एक जनता के रूप में हमने वोट देने से लेकर नोट्बंदी के लिए लाइनों में खड़े रहकर हर बार मोदी का साथ दिया है. आज 370 और 35A पर मोदी जी के 'स्मार्ट मूव' ने आस्तीन के सांपों और पाकिस्तान समर्थकों को जरुर पीछे धकेला है पर पारंपरिक रूप से  मीडिया और संचार के दूसरे माध्यम पर उनके पकड़ के कारण वो कश्मीर पर दुष्प्रचार करने में आंशिक रूप से ही सही पर सफ़ल हो रहे हैं.


वो लागातार यह दिखा रहे कि कश्मीर के लोग हतास-परेशान और मजबूर हैं. सीधे-सीधे कहूं तो भारत में रह कर ऐसे लोग पाकिस्तान की भाषा बोल रहे. उनकी यह भाषा मोदी विरोध के कारण है या भारत विरोध के कारण यह कहना मुश्किल है क्योंकि बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो मोदी और भाजपा के विरोधी हैं पर 370 पर वो सरकार के समर्थन में हैं. यह उनकी परिपक्वता को ही दर्शाता है.


दरअसल भारत और भारतीय, समय के साथ परिपक्व हो गये हैं, जो जोश में अपना होश नहीं गवांते. मोदी से उनके लगाव का नतीजा ही है कि हर तरफ़ उनके  69वें जन्मदिन पर बधाई देने वालों की होर लगी है. यह बड़ा ही सुखद है.

पर भारत में रह रहे पाकिस्तानी लॉबी को यह कतई मंजूर नहीं है. आप जितना चुप रहेंगें उनके मंसूबों को उतनी ही सफ़लता मिलेगी. संभव है कि ये मिलावटी लोग कुछ दिनों में यह भी प्रचारित करने लगे कि 370 को लेकर भारत की जनता मोदी के साथ नहीं है. उनके इस चाल को पहले से ही नाकामयाब करना होगा. कुछ ऐसा करना होगा जिससे वो आगे ऐसा कुछ कर ही ना पायें.

इसके लिए मोदी जी को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य पर एक शानदार तोफ़ा दें. ये सब आप जहाँ रह रहे हैं वहीँ रह कर हो जायेगा.


बस आपको 31 ओक्टुबर का इंतजार करना होगा. इस दिन भारत के एकीकरण के नायक सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन है.

इसी दिन 370 और 35A को पूर्ण रूप से हटाया जायेगा. बल्कि ये कहा जाय कि जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत सरकार का नया प्लान 31 ओक्टुबर अम्ल में आएगा.

आप इस नये प्लान के समर्थन में किसी एक सामूहिक प्रदर्शन में अवश्य भाग लें. यदि ऐसा करने में आप सक्षम नहीं हैं तो सोशल मिडिया पर अपनी तस्वीर के साथ सरकार के नये प्लान के समर्थन में सन्देश लिख कर पोस्ट करें.

आप भाजपा के समर्थक, कार्यकर्त्ता या विरोधी हो सकते हैं. यदि इस सब से इतर भी आप अपने आप को कहीं और पाते हैं तो याद रखें एक राजनीतिक दल होने के नाते भाजपा इस मौके को अपने लिए ज़रूर भुनाना चाहेगी. जो भाजपा की सेहत के लिए अच्छा भी होगा पर आपका प्रयास भाजपा या ऐसे किसी संगठन से अलग हट कर होना चाहिए. भले ही आप भीड़ से अलग खड़ें हों पर सन्देश भारत के पक्ष में ही होना चाहिए.

याद रखें 31 ओक्टुबर....!!!


प्रधानमंत्री के जन्मदिन के लिए इससे अच्छा तोअफा और क्या हो सकता है?

भारत को अपने तामम प्रयासों से एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार को याद करने का इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है?

लगे हाथ अमित शाह सहित सरकार के तमाम लोगों को यह सन्देश भी जायेगा कि यदि फ़ैसला राष्ट्रहित में हो जानता अपना धर्म-विचारधारा सब भूल कर उसका साथ देने में देर नहीं करेगी.

मिलते हैं 31 ओक्टुबर के दिन. 

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